Tuesday, October 13, 2009

दलित इंजिनियर सवर्ण इन्जियर ............?

मेरे एक मित्र आरक्षण के सख्त खिलाफ हैं अकसर कहा करते थे ये ३३ परसेंट आरक्षण वाले जब इंजीनियर बनेंगे तो न जाने कितने पुल ढह जायेंगे न जाने कितनी इमारतें गिरेंगी .आज जब उनके बेटे ने पी ऍम टी की एक्साम दी तो उसके १९ परसेंट ही थे। पर प्रायवेट कॉलेजों की बदोलत उसका एडमिशन
एक इंजिनियर कोलेज में हो गया .मेने मित्र से पूछा अब कितनी इमारतें गिरेंगी और कितने पुल धहेंगे वो चुप थे .

Sunday, October 11, 2009

ओ बा ......ओबामा को नोबल

ओबामा को नोबल सदी का सबसे बड़ा जोक कहा जा सकता है। अब सेम अंकल भी फख्र से दावा कर पाएंगे की वो तो दुनिया भर में शान्ति के कबूतर उडाते फ़िर रहे हैं ये मोटी अकल के लोग समझने को तैयार नही है तो वो क्या करें । अब ये तो उनकी मजबूरी है की अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिक बढ़ाना पड़ रहे हैं इराक से वापसी मुमकिन नही हो पारही पाकिस्तान को लाखो डालर जिमाना पड़ रहे हैं भले ही वो उनका इस्तेमाल कश्मीर में करे या मुंबई में ।
उनकी भूकी मल्टी नॅशनल कंपनिया थर्ड वर्ल्ड के गरीबों का खून चूस चूस कर मोटी हो रही हों भले ही उन का परमाणु जखीरा सबसे ज्यादा हो पर बड़े चौधरी होने के नाते उनका हक है की वो दुनिया को गांधीगिरी का सबक सिखाएं। भोले भाले नोबल बालों को इतनी समझ कहाँ । वो तो बुश को भी नोबल देना चाहते थे .दरअसल ये नोबल भी ऑस्कर मिस वर्ल्ड मिस यूनिवर्स की तरह अमेरिकी साम्राज्य वाद के फेके हुवे टुकड़े हैं जो उन्ही की इच्छा अनुसार बाते जाते हैं ये बात अब हमें समझ लेना चाहिए ।

Sunday, September 27, 2009

थरूर का भगत चेतन

इंग्लिश के कथित बेस्ट सेलर चेतन भगत ने शशि थरूर की केटल क्लास टिपण्णी का सपोर्ट किया हे दरअसल चेतन और थरूर एक ही क्लास इंडिया के मेंबर हैं जो आम आदमी की न तो भाषा समझते हैं न मानसिकता । चेतन उस आई आई टी की उपज हैं जिसके बच्चे देश का हजारो रुपये बर्बाद कर के या तो अमेरिका चले जाते हैं या मल्टी नेशनल की गुलामी करते हैं.चेतन और थरूर न तो सादगी से रह सकते हैं न ही उन्हें सादगी पसंद है.चेतन बेठे बिठाये इस आर्टिकल में भारतीय हास्य बोध पर भी कमेंट्स कर बेठे उनका कहना है की थरूर ने जो केटल क्लास कहा है वो पूरी दुनिया के लोग समझते हैं की मजाक है भारतियों में हास्य बोध की कमी है इसलिये वो इसे समझ नही पाए । चेतन का यह बयां उनकी बचपनी भाते दिमाग को दिखाता है भारतियों का हास्य बोध देखना है तो यहाँ के लोक गीतों में देखें और ये परम्परा सदियों नही हजारो सालों की है रामायण महाभारत के भी पहले भारतीय ग्रंथों में हास्य के उदहारण देखे जा सकते हैं पर चेतन वा ये केसे समझ सकते हैं क्योंकि ये किसी लन्दन या अमेरिकी अख़बार में नही छपा।आम आदमी केटल क्लास का कमेंट्स इसलिए नही समझ पाया की चेतन और थरूर जेसे लोगों की लाख कोशिशों के बावजूद इंग्लिश हमारी खोपडिया में घुस नहीं पा रही है । चेतनवा यहीं नही रुके आगे वो समझाते हैं की भारत को अपने रक्षा खर्च में कटौती करना चाहिए उन्हें चिंता नही की सीमा पर क्या हो रहा है चीन घुसपैठ कर रहा है कश्मीर में शहीदों की लम्बी कतारें हैं बंगला देश नेपाल सभी भारत को टेढी नजर से देख रहे हैं .दरअसल चेतन और थरूर उस वर्ग के प्रतिनिधि हैं जो हिंदुस्तान को समझती ही नही ।

Friday, September 11, 2009

गरीबों के अमीर आका

एस ऍम कृष्ना और शशि थरूर ने कुछ नया नही किया ६० सालों से हमारे खद्दर धारी यही तो करते आ रहे हैं.जिस मुल्क में ८४ करोड़ लोग २० रूपये रोज़ पर जिंदा रहने पर मजबूर हों जहा के ८० प्रतिशत गावों में पीने का साफ़ पानी मयस्सर नही हों वहां के मंत्री लाख रूपये रोज़ के होटल में रहते हों शर्म से सर नीचा हो गया लेकिन इन्हे कोई शर्म नही मीडिया ने हो हल्ला मचाया तो फ़रमाया गया की हम तो अपने खर्च पे रह रहे हैं तो फ़िर जनाब प्रणव मुखर्जी को किस पागल कुत्ते ने काटा था जो उन्होंने इन्हे निकलवा दिया .अब आम आदमी के हाथ को चिपकी कांग्रेस के राहुल बाबा ने साफ़ किया हे की सादगी से रहो तुम तो इससे ज्यादा कुच्छ नही बनों गे पर मुझे तो अभी लाल किले से डोर खीचना हे तुम्हारी इन हरकतों से हमारी इमेज ख़राब हो रही हे खुदा खैर करे